उनका आना और यूँ ठहर जाना…

उनका आना और यूँ ठहर जाना
जैसे मेरी धड़कनो का थम जाना
उनका ये भोलापन
उनकी ये मासूमियत
उनकी इस सादगी में
मेरे हर एहसासों का
निःशब्द हो जाना
ना कुछ कह पाना
ना कुछ समझ पाना
बस उन्हें सुनते जाना
उनकी शरारती बातो में
हमारा यूँ खो जाना
यूँ ही ठहर जाए काश ये लम्हा
ना वो कुछ कह पाये
ना हम कुछ सुन पाये
देखते रहे वो चांद में हमें
हम बादलों की तरह
बूंद बन कर उनपर बरस जाए…

Author: Muskaan

writer

8 thoughts on “उनका आना और यूँ ठहर जाना…”

Leave a comment